Saturday, 13 April 2013
कभी दौड़कर आपकी कार का शीशा साफ करते हैं तो कभी यूं ही उम्मीद
से हाथ फैला लेते हैं। तमाम दुखों को सीने में छुपाकर चेहरे पर हंसी सजा
लेते हैं। इनकी किलकारियां सड़क के शोर में गुम हो जाती हैं। आंसू धूल
में छुप जाते हैं। ये सड़क पर रहने वाले बच्चे हैं। हम इनके प्रति इतने
उदासीन हैं कि आजतक इनकी गिनती तक नहीं की गई है। आज
अंतरराष्ट्रीय स्ट्रीट चाइल्ड डे है। आज के दिन अगर सड़क पर कोई बेबस
बच्चा दिखे तो एक पल रुक कर सोचिएगा कि आप उसके लिए क्या कर
सकते हैं। क्योंकि ये 'सड़क के बच्चे' नहीं हैं, ये भी इंसान के ही बच्चे हैं।
इन्हें इनका हक दिलवाइये। इनके बारे में सोचिए....और सिर्फ सोचिए ही
नहीं कुछ कीजिए भी.............
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