माँ की दवाई का खर्चा, उसे मज़बूरी लगता है उसे सिगरेट का धुंआ, जरुरी लगता है || फिजूल में रबड़ता , दोस्तों के साथ इधर-उधर बगल के कमरे में, माँ से मिलना, मीलों की दुरी लगता है || वो घंटों लगा रहता है, फेसबुक पे अजनबियों से बतियाने में अब माँ का हाल जानना, उसे चोरी लगता है ||
खून की कमी से रोज मरती, बेबस लाचार माँ वो दोस्तों के लिए, शराब की बोतल, पूरी रखता है ||
वो बड़ी कार में घूमता है , लोग उसे रहीस कहते है पर बड़े मकान में , माँ के लिए जगह थोड़ी रखता है ||
माँ के चरण देखे , एक अरसा बीता उसका … अब उसे बीवी का दर, श्रद्धा सबुरी लगता है ||
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